मेमोरी कम्प्यूटर का का बुनियादी घटक है। यह कम्प्यूटर का आंतरिक भंडारण (Internal Storage) क्षेत्र है। केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाई(CPU) को प्रोसेस करने के लिए इनपुट डेटा तथा निर्देश का प्रोसेस करता है। अतः मेमोरी कम्प्यूटर का आवश्यक अंग है।
डेटा प्रतिनिधित्व (Data Representation)
मेमोरी बहुत सारे सेल्स में बटी होती है। जिन्है लोकेशन (Location) कहते है। हर लोकेशन का एक अलग लेबल होता है।  जिसे एड्रेस (Address) कहते है। सेल का उपयोग डेटा और संग्रह के लिऐ होता है।   सारे डेटा कोड  बाइनरी कोड के रूप में रहते है जिसे 0 तथा 1 से निरूपित किया जाता है। प्रत्येक लोकेशन में निश्चित बिट स्टोर की जा सकती है। जिसे वर्ड लेन्थ (Word Length) कहते है।  वर्ड लेन्थ 8, 16, 32 या 64 बिट की हो सकती है। बिट बाइनरी डिजिट कि सबसे छोटी इकाई है। बाइट की एक इकाई है जो कि EBCDIC (External Binary Coded Decimal Interchange Code ) में 8 बिट्स तथा ASCII (American Standard Code for Information Interchange) में सात बिट्स के समूट है।
मेमोरी अक्सर सेमीकंडक्टर स्टोरेज जैसे RAM  औऱ कभी कभी दूसरे तीव्र तथा अस्थाई रूप में जाना जाता है। मेमोरी शब्द चिप  (Chip) को रूप में प्रयोग होने वाले डाटा स्टोरेज को इंगित करता है परन्तु स्टोरेज सामान्यतः उपयोग होने वाले स्टोरेज डिवाइस जैसे आँपटिकल डिस्क तथा हार्ड डिस्क इत्यादि में मेमोरी और स्टोरेज मूल्य, विश्वासनीयता तथा आदी घटकों पर एख-दूसरे से भिन्न है।
सेमीकंडक्टर या प्राथमिक या मुख्य मेमोरी और आंतरिक मेमोरी  ( Semiconductor or Primary or Main memory Or Internal Memory): प्राथमिक मेमोरी को अक्सर मुख्य मेमोरी भी कहते है। जो कम्प्युटर के अन्दर होती है। तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU के द्रारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है।
1.     रोम (ROM- Read  Only Memory): रीड आँनली मेमोरी एक एसी मेमोरी है जिसमें संग्रहित डेटा या नर्देश को केनल पढा जा सकता है। उसे नष्ट या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। यह एक स्थाई मेमोरी (Non-Volatile) होती है। जिसका उपयोग कम्प्यूटर में डैटा को स्थाई रूप से रखने के लिए होता है।
राँम (ROM) मदरबोर्ड के ऊपर स्थित एक सिलिकाँन चिप (Silicon Chip ) है जिसके निर्माण के समय हि निर्देशो को इसमें संग्रहित कर दिया जाता है। कम्प्यूटर के आँन (On) होते हि (ROM) में स्वतः ही क्रियान् हो जाता है। कम्प्यूटर के स्विच आँफ(OFF) करने के बाद भी राँम (ROM) में संग्रहित निर्देश, प्रोग्राम नष्ट नही होता है। राँम स्थित यह स्थाई प्रोग्राम BIOS (Basic Input Output System ) के नाम से जाना जाता है।
2.     प्राँम (PROM- Programmable read Only Memory): यह भी स्थायी मेमोरी है यूजर द्रारा एक बार प्रोग्राम बर्न Burn करने पर उसमें परिवर्तन नही हो सकता है। फिर वह साधारण राँम की तरह व्यहवाहर करता है।
3.     ई-प्रोम (E-PROM – Erasable Programmable Read Only Memory): यह भी प्रोम की तरह स्थाई मेमोरी है। परन्तु बर्निंग की प्रक्रीया (Burning Process)  पराबैंगनी किरणों की सहायता से दुहराई जाती है। इसे पराबैंगनी ई प्रोम (Ultraviolet E-PROM) भी कहते है।
रीड ओनली मेमोरी में प्रोग्राम या डाटा प्री इन्स्टाल होते है। फर्मवेयर साँफ्टवोयर और हार्डवेयर का मेल (Combination) है। राँम, प्राँम और ई-प्राम जिनमें डेटा रह सकते है फर्मवेयर है।
4.     ई-ई-प्राँम (E-E-PROM- Electrically Erasable Programmable Read Only Memory): यह भी एक ई-प्राँम की तरह स्थायी मेमोरी है। परन्तु बर्निंग प्रक्रिया विध्दयुत कि सहायता से फिर से की जा सकती है।
5.     कैश मेमोरी (Cache Memory) : य़ह केऩ्द्रिय प्रोसेसिं  इकाई (CPU) तथा मुख्य मेमोरी के बीच का भाग है। जिसका उपयोग बार-बार उपयोग में आने वाले डेटा और निर्देशों को संग्रहित करने में किया जाता है। इसे मुख्य मेमोरी तथा प्रोसेसर के बीच गति अवरोध दूर हो जाता है। क्योंकि मेमोरी से जेटा पढने की गति CPU के प्रोसेस करने की गति से काफी मन्द होती है। यह तीव्र, महँगा तथा अपेक्षाक्रत छोटा Storage Form है।
6.     रैम (Ram- Random Access Memory): कम्प्यूटर में सबसे ज्यादा होने वाला यह मेमोरी है। यह अस्थाई (Volatile) मेमोरी है, अर्थातः अगर विध्दयुत स्पलाई बन्द हो जाए तो इसेमें संग्रहीत डेटा भी खत्म हो जाता है। इससे डेटा को पढना तथा लिखना तीव्र गति से हो जाता है। रैम एक स्पेस है जहां डेटा लोड होता है तथा कार्य करता है। रैम 64MB, 128MB, 256MB, 512MB, 1GB आदि क्षमता में उपलब्ध है। रैम मुख्यतः दो प्रकार के होते है।
a.       डयनामिक रैम (Dynamic RAM): इसके डेटा को बार-बार रिफ्रेश करना होता है। तथा स्टेटिक रैम की तुलना में काफि सस्ता है।
b.      स्टेटिक रैम (Static RAM): इसके डाटा को रिफ्रेश करने की आवश्यकता नहीं होती है तथा (इसकि गति डायनामिक रैम से तेज होती है।)
द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory): इसे सहायक(Auxiliary) तथा बैंकिंग स्टोरेज (Backing Storage )   भी कहते है। क्योकि ये मुख्य मेमोरी तथा सीमित क्षमता वाले होते है। ज्यादातर इसका उपयोग डेटा बैकप के लिए किया जाता है। आजकल उपयोग होने वाले मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क इसके मुख्य उदाहरण है।
1.     हार्ड डिस्क (Hard Disk):  हार्ड डिस्क CPU के अंतर्गत डेटा स्टोर करने कि प्रमुख डिवाइस होती है। यह दूसरे डिस्क की तुलना में उच्च संग्रहण क्षमता, विश्वसनीयता तथा तीव्र गति प्रदान करता है। चूँकि ये डिस्क ए बाँकेस (Module)  के अन्दर रीज तथा राइट हैड में सील रहता है। कम्प्यूटर के अन्दर इसी हर्ड डिस्क में सभी प्रोग्राम इंस्टाल्ड (Installed) रहते है।  जिसका उपयोग हम अपनी जरूरत के अनुसार करते है। हार्ड डिस्क 40GB, 80GB  आदि क्षमता में उपलब्ध होते है। डिस्क को सैक्टरे तथा फार्मेट में डिजाइन किया जाता है जिसे फार्मेट कहते है।
2.     फ्लाँपी डिस्क (Floppy Disk): यह मुख्यतः तीन आकारो में आता है। 8, 5.25, 3.5 इंच में आता है। धूल या खरोंच से बचाने के लिए डिस्क प्लास्टिक के कवर में बन्द रहता है। डेटा को पढने के लिए कवर के ऊपर एक छेद का प्रयोग किया जाता है। ज्यादातर डिस्क ड्राइव में रीड-राइट हैड  डिस्क के सतह से भौतिक संपर्क में होते है। जो पढने तथा लिखने के बाद हट जाते है। जिसके फलस्वरूप कोई नुकसान नही होता है। इसमें डेटा व्रत्ताकार टेप पर लिखा जाता है। यह एक बह्य (External) मेमोरी है।
फ्लोपी डिस्क डायरेक्ट एक्सेस (Direct access) माध्यम के रूप में ज्यादा उपयोग होती है।

3.     मैग्नेटिक टेप (Magnetic Tape): यह सबसे सफल बैकिंग  स्टोरेज माध्यम है। मैग्नेटिक टेप 24000 से 36000 फीट लम्बा तथा पाँलिस्टर का बना होता है। इसे रील में लपेटा जाता है। पंच कार्ड तथा पेपर कि तुलना में इसमें विशाल डेटा संग्रह किया जाता है। टेप में डेटा को कितनी भी बार लिखा  मिटाया या परिवर्तित  किया जा सकता है। तथा इसके लिए मैग्नेटिक टेप ड्राइव कि आवश्यकता होती है। एक रील के टेप जो पढने या लिखने (Read or Write ) में उपयोग होता है फाइल रील (File Reel) कहलाता है। तथा दूसरा टेकअप रील (Take up Reel ) कहलाता है।
4.       -राँम (CD ROM- Compact Disk Read Only Memory):
5.        सी डी राँम को आँप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है। आँप्टिकल डिस्क के ऊपर डेटा को स्थाई रूप से अंकित किया जाता है। लेजर कि सहायता से सी डी की सतह पर अतिसूक्ष्म गड्डे बनाये जाते है। सीडी में अंकित डेटा (Recording)  मिट नही सकती है। रिकार्डेड डेटा को पढने के लिए कम तीव्रता वाले लेजर बीम का उपयोग किया जाता है। इनमें ट्रेक स्पाइरल (Spiral) होता है। जिससे डेटा को हार्ड डिस्क की अपेक्षा तीव्र गति से पढा नही जा सकता है। साधारणतः सीडी राँम की क्षमता 640 MB होती है। सीडी से डेटा प्राप्त करने के लिए सीडी ड्राइव तथा सीडी में डेटा को डलने के लिए सीडी राइटर (CD Writer)  का उपयोग किया जाता है। इसे WORM (Write Once Read Many) डिस्क भी कहते है। अर्थात एक ऐसी सीडी जिसमें सिर्फ एक बार लिखा तथा बार-बार पढा जा सकता है। और लिखे गये डेटा में कोई परिवर्तन नही किया जा सकता है। 3 डी अँप्टिकल  डाटा स्टोरेज (3D Optical Data Storage) प्रोध्योगिकी में डाटा त्रिआयामी रिजोल्यूसन से रिकार्ड या रिड किया जा सकता है। डाटा को आँप्टिकल टिसक पर कई परतों में संग्रहित कीया जाता है।
6.       सीडी आर  डब्ल्यू(CD-Read/Write):  
7.       सीडी-आर/डब्ल्यू (Compact-Disk Rewriteable) भी ऑप्टिकल डिस्क है। परन्तु इसमें संग्रहित डेटा को मिटाया या परिवर्तित किया जा सकता है। लेजर द्रारा सीडी में डेटा संग्रह सीडी के सतह पर सूक्ष्म गडढे के परिवर्तन कर दीया जाता है। तथा लखे हुए सीडी  के सीडी में परिवर्तन करने के लिए फिप से लेजर  का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के सीडी का उपयोग करने के लिए सीडी-आऱ/डब्ल्यू ड्राइव की आवश्यकता होती  है।
8.       डी वी डी (DVD):
9.        डी वी डी (Digital Versatile Disk) या Digital Video Disk का संक्षिप्त नाम है। यह ऑप्टिकल डिस्क तकनीक के CD-रोम की तरह होता है। इसमें न्यूनतम 4.7 GB डेटा  एक पूर्ण लम्बाई की फील्म संग्रहित की जा सकती है। डी वी डी सामान्यतः फिल्मों और अन्य म्ल्टीमीडीया प्रस्तुतीयो को डिजिटल रूप में प्रस्तुत करने और हर तरफ में एक या दो परत में डेटा संग्रह करने का एक माध्यम है। यह एक तहफा या दो तरफा (Single or Double sided) होता है। और हर तरफ एक या दो तरफ में डेटा संग्रहित कर सकता है। दो तरफा दो तरफ वाले DVD में 17GB विडीयो, ऑडियो या अन्य जानकारियो को संग्रह किया जा सकता है।
10.   पेन ड्राइव (Pen Drive):
11.    यह छोटे की रिंग (Key ring) के आकार का होता है तथा आसानी से USB (Universal Serial Bus) संगत प्रणालियो के बीच फाइलो के स्थानांतरण तथा संग्रहण करने के लिए उपयोग होता है। यह भिन्न-भिन्न क्षमताओ में उपलब्ध है। इसे पीसी के USB पोर्ट में (Plug) उपयोग किया जाता है। इसे फ्लैश ड्राइव कहते है। यह ई-ई प्रॉम मेमोरी का एक उदाहरण है।  
12.   फ्लैश मेमोरी (Flash Memory): इसे फ्लैश रैम भी कहा जाता है। इसको मिटाया तथा फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है। इसका उपयोग सेलुलर फोन, डजिटल कैमरा, डिजिटल सेट टॉप बॉक्स इत्यादि में होता है।